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रजा लाइब्रेरी में लगी प्रदर्शनी देखते निदेशक डा. पुष्कर मिश्र व अन्य। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। रामपुर रजा पुस्तकालय एवं संग्रहालय में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में "तिरंगा स्वतंत्र भारत की पहचान विषय पर विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन पुस्तकालय के निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र ने किया।
उद्घाटन समारोह दरबार हॉल, रामपुर रजा पुस्तकालय में दोपहर 2:30 बजे आयोजित हुआ। प्रदर्शनी में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सम्बन्धित दुर्लभ दस्तावेज, चित्र, पुस्तकें, और अन्य संग्रहणीय वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं, जो भारत की स्वतन्त्रता संग्राम की गौरवगाथा और तिरंगे के इतिहास को दर्शाती हैं।
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पुस्तकालय का अपने देश की मिट्टी के लिए समर्पण भाव
इस अवसर पर पुस्तकालय के निदेशक डॉ० पुष्कर मिश्र जी ने कहा कि तिरंगा भारत की पहचान है। हाल ही में हमने तिरंगा यात्रा निकाली, जिसमें भाषा, मज़हब, भू-भाग आदि सभी भेदभावों से परे होकर रामपुर और आसपास के क्षेत्रों के नागरिकों ने भाग लिया। यह यात्रा गांधी समाधि से रज़ा पुस्तकालय तक निकाली गई थी। यह तिरंगा यात्रा रामपुर के इतिहास में ऐतिहासिक रही, जिसकी पूरे देश देश में चर्चा हुई। यह रामपुर रज़ा पुस्तकालय के अपने देश की मिट्टी के प्रति समर्पण भाव को भी दर्शाती है। यह झंडा, जो इतने गर्व से लहरा रहा है, आज पूरे विश्व में भारत की पहचान और सम्मान का प्रतीक है। तमाम परिस्थितियों के बावजूद, हम आज भारत के गौरवशाली और ऊंचे मस्तक को देख पा रहे हैं, जिसके पीछे अनगिनत बलिदान हैं। इस प्रदर्शनी में ऐसे अनेक उदाहरण प्रदर्शित किए गए हैं, जहां स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए लोगों ने प्राणों की आहुति दी, ताकि भारत गर्व के साथ अपना मस्तक ऊँचा रखकर रखकर विश्व समुदाय में सम्मानपूर्वक खड़ा रह सके।
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अब हम विश्व शीर्ष पांच देशों में शामिल
कुछ दशक पूर्व तक, जब कोई भारतवासी विदेश जाता था, तब हमें उस देश के रूप में देखा जाता था जो कभी ब्रिटिश उपनिवेश था। लेकिन आज हमने वह पहचान बदल दी है। वह ब्रिटेन, जिसने कभी भारत पर शासन किया था, आज हमारी अर्थव्यवस्था उससे कहीं अधिक है, और हम विश्व के शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं। भारत आज एक महाशक्ति के रूप में उभर चुका है। विश्व का सबसे शक्तिशाली देश भी भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख सकता, और यदि कोई दुस्साहस करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलता है। भारत के इस गौरवशाली स्थान तक पहुँचने में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, खुदीराम बोस, प्रीतिलता, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेख चंद्रशेख आज़ाद, अशफ़ाक उल्ला खान जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रामपुर में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से पैदा हुई गांधी टोपी
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश साम्राज्य का नैतिक बल तोड़ दिया और उनके नैतिक नेतृत्व ने पूरी दुनिया से उपनिवेशवाद का अंत कर दिया। रामपुर का भी स्वतंत्रता संग्राम में गौरवशाली इतिहास रहा है। महात्मा गांधी जब रामपुर आए थे, तो वे मौलाना जौहर के मेहमान थे। मौलाना जौहर की माता ने उन्हें स्वयं गांधी टोपी बनाकर दी, जो पूरे भारत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पहचान बन गई और सभी उस टोपी को पहनने लगे। इतना ही नहीं, महात्मा गाँधी की अस्थियाँ रामपुर के नवाब जिनके नाम पर हमारा यह पुस्तकालय भी है। वह अस्थियाँ यहां लाए कुछ को कोसी नदी में विसर्जित किया और और कुछ अस्थियों को कलश में रख कर गाँधी समाधि स्थापित की।
रजा लाइब्रेरी में 25 अगस्त तक जारी रहेगी प्रदर्शनी
यह प्रदर्शनी 12 अगस्त 2025 से 25 अगस्त 2025 तक प्रतिदिन प्रातः 10:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। पुस्तकालय प्रशासन ने सभी नागरिकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और देशभक्तों से आग्रह किया है कि वे इस अवसर पर अवश्य पधारें और राष्ट्रीय धरोहर के इस अद्भुत संग्रह को देखें। इस अवसर पर आयोजित हुए कार्यक्रम का संचालन शबाना अफसर ने किया।