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हमारा विद्यालय हमारा स्वाभिमान का संकल्प लेते बच्चे। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का एक सितंबर को पूर्व नियोजित कार्यक्रम "हमारा विद्यालय - हमारा स्वाभिमान "संकल्प कार्यक्रम विद्यालयों एवं इण्टर कालेजों में मनाया गया। शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने सामूहिक पंच संकल्प लिए। जिसमें जनपद के लाखों विद्यार्थियों में एक हजारों शिक्षकों ने प्रार्थना सभा में पांच संकल्प लिए। हमारा विद्यालय - हमारा स्वाभिमान" का उद्घोष किया जिनमें विद्यालय को स्वच्छ, अनुशासित तथा प्रेरणास्पद बनाए रखेंगे। विद्यालय के संपदा ,संसाधन तथा समय को राष्ट्र धन मानते हुए उनका संरक्षण एवं विवेक पूर्वक उपयोग करेंगे। विद्यालय का ऐसा वातावरण बनाएंगे जहां कोई भेदभाव नहीं होगा सभी के साथ समान समभाव रखेंगे। शिक्षा को केवल ज्ञान का माध्यम नहीं अपितु चरित्र निर्माण आत्मविकास और समाज सेवा का साधन मानकर कार्य करेंगे। विद्यालय एक संस्था नहीं अपितु संस्कार सेवा और समर्पण का तीर्थ मानते हुए उसका गौरव बढ़ाने हेतु सतत प्रयत्नशील रहेंगे l
जिलाध्यक्ष रवेन्द्र गंगवार ने बताया इस कार्यक्रम में जनपद के अधिकांश परिषदीय, मान्यता प्राप्त विद्यालयों एवं इंटर कालेजों में संकल्प लिया गया। हमारा विद्यालय हमारा तीर्थ है, हमारी आत्मा का अभिमान है और राष्ट्र निर्माण का आधार है। इसको आत्मसात करने के लिए संकल्प लिया जिसके भविष्य में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे । जिला महामंत्री विपेंद्र कुमार ने बताया विद्यालय एक प्रयोगशाला है जहां भविष्य के नागरिक गढ़े जाते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, पूरे संसार को गीता का ज्ञान देने श्री कृष्ण से लेकर महात्मा गांधी, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे अनेक महापुरुषों के जीवन एवं सफलता की जड़ें उनके विद्यालयों से प्राप्त ज्ञान और संस्कार मे छिपा है। हमारे शिक्षा संस्थानों की लंबी गौरवमयी ऐतिहासिक परंपरा है। तक्षशिला नालंदा, विक्रमशिला जैंसे विश्विद्यालयों ने विश्व को ज्ञान देकर सकारात्मक दिशा और दशा देकर भारत को विश्व गुरु का गौरव प्रदान किया।
भारतीय गुरुकुल परंपरा में स्वच्छता और अनुशासन से ही उत्कृष्ट व्यवस्था, प्रेरणा और आदर्श संभव है। भारतीय दृष्टि में संपत्ति व्यक्तिगत नहीं सामूहिक होती है। विद्यालय की हर वस्तु राष्ट्र की धरोहर है। इनका संरक्षण हमें जिम्मेदार नागरिक बनाता है।शिक्षा हमें ईमानदार ,कर्तव्यनिष्ठ एवं सेवाभावी नागरिक बनाती है। विद्यालय में हम वसुधैव कुटुंबकम की भारतीय परंपरा को आत्मसात करते हुए जाति, पंथ, धर्म, वर्ग, लिंग भाषा, धर्म के किसी भेदभाव के बगैर सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता की मजबूती के लिए कार्य करेंगे। भारतीय परंपरा में तीर्थ वह है जो आत्मा को शुद्ध करें अपने विद्यालय को तीर्थ मानने से उसमें श्रद्धा और समर्पण का भाव जागेगा। हर कक्षा, हर पुस्तक, हर घंटी हमें प्रेरणा देगी।
कल्पना कीजिए यदि देश के विद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थी इन पांचो संकल्पों को निभाएं तो हर विद्यालय स्वच्छ, अनुशासित और प्रेरणादायक होगा। हर विद्यार्थी संस्कारित और आत्मविश्वासी होगा। हर शिक्षक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा।
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