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आजम खां Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन संवाददाता। समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता और संस्थापक सदस्य आजम खां 23 महीने बाद 23 सितंबर को सीतापुर जेल से बाहर आएंगे। उन्हें सभी मुकदमों में जमानत मिल चुकी है। करीब 53 परवाने भी रामपुर की विभिन्न अदालतों से सीतापुर जेल को भेजे जा चुके हैं। परवाने दस्दीक होने के बाद कल शाम या देर रात कर रिहाई होने के बाद वह रामपुर को रवाना होंगे। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में बेहद खुशी है।
आपको बता दें कि आजम खां के खिलाफ करीब 100 मुकदमे दर्ज हुए थे। इनमें कुछ में उन्हें बरी किया गया था। कुछ में सजाएं हुईं थीं। कुछ विचाराधीन भी हैं। जिन मुकदमों में सजाएं हुईं सभी में जमानत मिल गई है। विचाराधीन मामलों में भी वह जमानत करा चुके हैं। गुरुवार को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। शनिवार को शत्रु संपत्ति के जिस मामले में आजम खां पर तीन धाराएं बढ़ाई गईं थीं, इसमें न्यायालय से वारंट जारी नहीं हो सके। आजम खां सीतापुर जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय में हाजिर हुए थे। उनके अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र देकर शत्रु संपत्ति के तीन मामलों को एक पत्रावली में करने का अनुरोध किया था। न्यायालय ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार करके सुनवाई को एक अक्टूबर की तारीख नियत कर दी। इस तरह वारंट जारी नहीं हो सकने के कारण आजम खां की रिहाई का रास्ता साफ हो गया। एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल ने 53 मामलों में शुक्रवार को ही रिहाई के आदेश जारी कर दिए थे। पांच मुकदमे एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट सेशन ट्रायल के भी हैं। जमानतियों के सत्यापन के बाद रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए। सभी परवाने सीतापुर जेल पहुंच गए हैं। अब 23 सितंबर को करीब 23 महीने बाद आजम खां देर शाम तक रिहा हो सकते हैं। आजम खां के अधिवक्ता जुबैर अहमद ने बताया कि परवाने भेजे गए हैं। परवाने की तस्दीक के बाद कल या कल रात तक आजम खां की रिहाई हो जाएगी। क्योंकि अब तक किसी मामले में जमानत शेष नहीं रही है।
सपा कार्यकर्ताओं में खुशी, पुलिस प्रशासन अलर्ट
आजम खां की रिहाई का रास्ता साफ होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं में खुशी है। वहीं पुलिस प्रशासन भी सतर्क हो गया है। आजम के 23 महीने बाद जेल से बाहर आने पर पुलिस व्यवस्था कड़ी रहेगी। ऐसा माना जा रहा है। बता दें कि पिछली बार आजम खां के जेल से आने पर देखो..देखो... शेर आया जैसे समाजवादियों ने नारे लगाए थे जो चर्चा में रहे थे।
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