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Biodiversity Day: शाहजहांपुर में सुधर रही आबोहवा, बढ़ रही जल-स्थलीय जीव-जंतुओं की आबादी

शाहजहांपुर जनपद में जैव विविधता के सामूहिक प्रयास से आबोहवा सुधर रही है। जैसे-जैसे वातावरण सुधर रहा है जलीय और स्थलीय जीव जंतुओं की संख्या भी बढ़ रही है। यह सुधार इंसानों के लिए भी अनुकूल साबित हो सकता है।

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Akhilesh Sharma
शाहजहांपुर

Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता

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जनपद में जैव विविधता के लिए सामूहिक प्रयासों से आबोहवा सुधर रही है। इससे जलीय, स्थलीय जीवों के साथ पेड़ों पर बसेरा करने वाले जीवों को भी अनुकूल माहौल मिल रहा है। वन विभाग के एक सर्वेक्षण के मुताबिक तीन साल में 40 से 80 प्रतिशत तक इनकी संख्या बढ़ गई है। वन विभाग की ओर से दुर्लभ प्रजाति के पौधा रोपण काे चलाया जा रहा अभियान भी जैव विविधता को संबल प्रदान कर रहा है। ककरा में नगर निगम की ओर से पार्क बनाया जा चुका है। अब जलालाबाद में 20 हेक्टेयर में जैव विविधता पार्क भी बनाया जाएगा।
जनपद में गंगा, रामगंगा,गोमती, बहगुल गर्रा, खन्नौत समेत नदियों तथा तालाबों की वजह से जैव विविधता को काफी बढ़ावा मिल रहा है। नतीजतन यहां काला हिरन, चीतल, सेही, गोह, बिज्जू बाघ, तेंदुआ समेत कई प्रकार के जीव चिन्हित किए जा चुके हैं। वन विभाग की ओर से ढाक, बहेड़ा आदि 30 प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के पौधों का भी रोपण कराया जा रहा है। नदियों में विविध प्रकार की मछलियाें के साथ कछुआ, केकड़ा आदि की बहुलता से भी जैव विविधता को बल मिल रहा है। पड़ोसी जनपद पीलीभीत टाइगर रिजर्व भी जिले की सीमा से सटा हुआ है। वहां भी टाइगर की संख्या में बढ़त हो रही है।

जल के स्वच्छकार कछुओं का भी बढ़ रहा कुनबा

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कछुआ को जल का स्वच्छकार कहा जाता है। रामगंगा के किनारे कछुआ की हेचरी विकसित की गई। तीन साल के भीतर इस हेचरी में सौ से ज्यादा कछुआ का कुनबा बढ़ गया। जो कि जलीय जैव विविधता का बड़ा प्रमाण है। गोमती नदी को जैव विविधता के लिए संरक्षित भी करने के प्रयास लगातार चल रहे हैं। 

इटावा-औरैया के बाद शाहजहांपुर में हैं अधिक सारस

राज्य पक्षी सारस की संख्या शाहजहांपुर जनपद में ज्यादा है, 2023 में सारसों की संख्या 2073 थी और 2024 में यह घटकर 1476 रह गई। बताते हैं कि इटावा में सारस की संख्या के बाद औरैया या फिर शाहजहांपुर में है। तीन साल के भीतर सारस की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है। हाल ही में कराई गई गणना में व्यस्क सारस की संख्या 1230 तथा बच्चों की संख्या 376 पाई गई। जबकि तीन वर्ष पूर्व कुल संख्या एक हजार से कम थी।
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शाहजहांपुर के ककरा में बना जैव विविधता पार्क

शाहजहांपुर
शाहजहांपुर का जैव विविधता पार्क। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

 

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शाहजहांपुर में जैव विविधता को बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य जैव विविधता बोर्ड ने जिले के नौ प्राचीन वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है। इन वृक्षों में पीपल, बरगद, पाकड़ और साल के पेड़ शामिल हैं, जो 100 से 400 साल पुराने हैं। इन वृक्षों के संरक्षण के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है और इनकी देखभाल का जिम्मा संबंधित ग्राम पंचायत और नगर निकाय को सौंपा गया है। इसके अलावा, दुर्लभ प्रजाति के पौधों के रोपण का अभियान भी चलाया जा रहा है, जो जैव विविधता को बढ़ावा दे रहा ह। जैव विविधता पार्क भी बनाए जा रहे हैं, जैसे कि ककरा में नगर निगम द्वारा बनाया गया पार्क और जलालाबाद में प्रस्तावित 20 हेक्टेयर का पार्क. इन प्रयासों से शाहजहांपुर में जैव विविधता को सुधारा जा रहा है और जलीय-स्थलीय जंतुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है।  

सूर्य नमस्कार पार्क

नगर निगम द्वारा जैव विविधता पार्क में ही सूर्य नमस्कार पार्क बनाया गया है। इसमें सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राओं को स्टैचू के रूप में दर्शाया गया है। 

गर्रा घाट का सौंदर्यीकरण

गर्रा घाट के सौंदर्यीकरण और जैव विविधता पार्क को और विकसित करने पर काम चल रहा है। नगर निगम डीपीआर तैयार कर शासन को भेज चुका है।  

गोमती नदी में जैव विविधता संरक्षण

नमामि गंगे योजना के तहत भारतीय वन्य जीव संस्थान की टीम गोमती नदी में जैव विविधता संरक्षण का सर्वे कर चुकी है। गोमती नदी को जैवविविधता से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश सरकार की इसे प्राथमिकता से कराया जा रहा है। शाहजहांपुर में करीब दो सौ  विकसित किए जा रहे हैं। जिसमें झीलें, तालाब नदियों के अलावा प्राकृतिक जलस्रोत शामिल हैं। 

जनपद में जैव विविधता के लिए करीब 200 वेटलैंड चिन्हित किए गए हैं। इनमें नदियां, झील और तालाब के साथ ही प्राकृतिक जलस्रोत भी शामिल हैं। सारस की संख्या लगातार बढ़ रही है। अन्य जलीय-स्थलीय जीव जंतुओं की संख्या बढ़ रही है। आगामी दिनों में बेहतर पर्यावरणीय माहौल विकसित होगा। -सुशील कुमार, प्रभागीय वन अधिकारी शाहजहांपुर

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