Education में नवाचार की मशाल , दिव्यांग और सामान्य बच्चों की उम्मीद बनीं माला सिंह
शाहजहांपुर प्राथमिक विद्यालय, अजीजपुर जिगनेरा (इंग्लिश मीडियम), की सहायक अध्यापक ने शिक्षा में एक नई मिसाल पेश की है। उनके नवाचारों को जनपद और राज्य स्तर पर सम्मान मिला, जिससे वे अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी ज्योति है, जो हर बच्चे के भविष्य को रोशन कर सकती है। इस विचारधारा को आत्मसात कर प्राथमिक विद्यालय, अजीजपुर जिगनेरा (इंग्लिश मीडियम), ब्लॉक ददरौल, जिला शाहजहाँपुर की सहायक अध्यापक माला सिंह ने अपने समर्पण और नवाचार से शिक्षा जगत में एक नई मिसाल पेश की है। उनके लिए शिक्षा केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक सेवा है। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने वेतन से बच्चों को विशेष सुविधाएँ प्रदान करने का बीड़ा उठा
उनका उद्देश्य है कि हर बच्चा, चाहे वह सामान्य हो या दिव्यांग, समान अवसर प्राप्त करे और शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सके। अपने प्रयासों के जरिए वे बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं और उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर कर रही हैं।
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )
दिव्यांग बच्चों के लिए नवाचार: टीएलएम और गतिविधि आधारित शिक्षा
माला सिंह ने समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष टीएलएम (Teaching Learning Materials) तैयार किए। इन नवाचारों के कारण दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों के साथ खेल-खेल में सीखने लगे। उन्होंने पढ़ाई को रोचक और आसान बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ विकसित कीं, जिससे दिव्यांग बच्चे भी सहजता से सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सके।
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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
इसके अलावा, उन्होंने होम बेस्ड एजुकेशन की शुरुआत की, जिससे छुट्टियों में भी बच्चे अपनी सीखने की गति बनाए रख सकें। इससे बच्चों की शिक्षा में सततता बनी रही और उनका आत्मविश्वास बढ़ा। इस अनोखे प्रयास ने कई बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया।
अंग्रेजी भाषा को सरल और सुगम बनाने के लिए माला सिंह ने अपने विद्यालय में फोनिक्स कोर्स की शुरुआत की। इस कोर्स के माध्यम से बच्चों ने अक्षरों की ध्वनियों को समझना सीखा, जिससे वे आसानी से शब्दों को पहचानकर उनका सही उच्चारण कर पाए।
90 दिनों के भीतर, उनकी कक्षा के 40% बच्चे अंग्रेजी पढ़ने में सक्षम हो गए। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, जिसने शिक्षा के स्तर को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया। अब बच्चे आत्मविश्वास के साथ अंग्रेजी में बातचीत करने लगे हैं और अपनी शिक्षा में नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
माला सिंह के प्रयासों से विद्यालय में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले:
1. बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि – पहले जहां कई बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं आते थे, अब वे उत्साहपूर्वक स्कूल आने लगे।
2. बच्चों की शिक्षा में रुचि बढ़ी – खेल-आधारित शिक्षा और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाओं से बच्चे सीखने के लिए अधिक प्रेरित हुए।
3.दिव्यांग बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा – अब वे भी कक्षा में अन्य बच्चों के साथ बिना किसी झिझक के भाग लेने लगे।
इन बदलावों के कारण विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता में भी सुधार हुआ और अभिभावकों का विद्यालय पर विश्वास और बढ़ गया।
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सम्मान और पुरस्कार: मेहनत का मिला फल
माला सिंह के इन प्रयासों को न केवल उनके विद्यालय में, बल्कि शिक्षा जगत में भी सराहा गया। उन्होंने कई शैक्षिक प्रतियोगिताओं में भाग लिया और सफलता हासिल की।
1. नवाचार प्रतियोगिता 2023 में जनपद स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया और राज्य स्तर पर चयनित हुईं।
2. ICT प्रतियोगिता 2024 में भी जनपद स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया और अब वे राज्य स्तर पर भाग लेने जा रही हैं।
3. शैक्षिक नवाचार एसोसिएशन द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय काव्य प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त किया।
4. Eduleader UP द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय (बरेली मंडल) प्रतियोगिता में सम्मानित हुईं।
इन उपलब्धियों से यह सिद्ध होता है कि उनके प्रयास न केवल विद्यालय स्तर पर, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहे जा रहे हैं।
माला सिंह के इन प्रयासों को न केवल शिक्षा विभाग, बल्कि स्थानीय प्रशासन और समाज ने भी खूब सराहा। वे एक आदर्श शिक्षिका बन चुकी हैं, जिनका समर्पण और मेहनत अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एक समर्पित शिक्षक कैसे बच्चों के भविष्य को संवार सकता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब एक शिक्षक ठान ले, तो वह शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।