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नाहिल झील का निरीक्षण करते डीएम Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाताः जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने तहसील पुवायां के ग्राम नाहिल में ऐतिहासिक नाहिल झील का निरीक्षण किया। उन्होंने झील के प्राकृतिक स्वरूप को वापस लाने और पर्यटक आकर्षण बढ़ाने हेतु विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। भैंसी नदी के पुनर्जीवन के बाद डीएम की नई पहल से क्षेत्रीय लोगों में उत्साह है। इससे पर्यटन विकास को भी नई ऊंचाइयों मिल सकेगी।
ग्रामीणों ने बताया झील का ऐतिहासिक महत्व
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निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि यह झील पहले अपने नीले कमल और विदेशी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध थी, परंतु समय के साथ इसका स्वरूप बाधित हो गया। डीएम ने आश्वासन दिया कि झील की पहचान और प्राकृतिक सुंदरता वापस लौटेगी।
गौ अभ्यारण की होगी स्थापना
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निरीक्षण के दौरान डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि झील के ऊंचे हिस्से में गौ अभ्यारण केंद्र बनाया जाएगा, जहां पाँच से सात हजार गायों की देखभाल की जाएगी। इससे आवारा पशुओं की समस्या कम होगी और एक संतुलित पर्यावरणीय तंत्र विकसित होगा।
अवैध कब्जों को हटाने की चेतावनी
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उन्होंने स्पष्ट कहा कि झील क्षेत्र में किए गए अवैध कब्जे हटाए जाएँ। कब्जाधारियों को स्वयं हटने का अवसर दिया जाएगा, अन्यथा प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगा।
आने वाले छह महीने में पर्यटन स्थल के रूप में विकास
जिलाधिकारी ने कहा कि छह माह में झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए पहुँच मार्ग, फेंसिंग, वृक्षारोपण और झील की गहराई बढ़ाने जैसे कार्य किए जाएंगे। झील से सटे बाबा रघुनाथपुरी मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया जाएगा।
सहभागिता योजना से गौ-पालकों को राहत
डीएम ने ग्रामीणों को सहभागिता योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दूध न देने वाली गायों को सड़कों पर छोड़ने के बजाय सरकार द्वारा ₹50 प्रतिदिन अर्थात ₹1500 प्रति माह की सहायता उपलब्ध है।
अधिकारियों की उपस्थिति
निरीक्षण के दौरान उप जिलाधिकारी पुवायां चित्रा निर्वाल समेत तहसीलदार, बीडीओ, ग्राम प्रधान तथा भैंसी नदी अभियान से जुडे लोकभारती के स्वयंसेवक मौजूद रहे।
इनपुट : नाहिल झील के बारे में
कुल रकबा (क्षेत्रफल)लगभग 180 से 230 एकड़ (70–93 हेक्टेयर)
फैलाव लंबाईलगभग 2.5 से 3.2 किलोमीटर
चौड़ाई (औसत)400 से 900 मीटर (स्थान अनुसार बदलाव है)
खासियत :
झील का पूरा फैलाव स्थायी पानी + बरसाती भराव + किनारे के ढाल क्षेत्र में आता है, जिसकी माप सीजन के अनुसार बदल जाती है।
डीएम के निर्देश पर जो कार्ययोजना बनाई जा रही है, उसमें सीमा निर्धारण (Demarcation) और ड्रोन सर्वे शामिल है — उसके बाद सटीक एरिया आधिकारिक रूप से घोषित किया जाएगा।
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