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UP: कृषि निदेशालय के निदेशक की कुर्सी के लिए अफसरों में नूराकुश्ती शुरू

कृषि निदेशालय के निदेशक की कुर्सी आगामी 30 जून को खाली हो रही है। निदेशकों की डीपीसी हो चुकी हैं। पांच निदेशकों में से एक को कृषि निदेशालय के निदेशक की कुर्सी मिलेगी, जिसके पास विभाग की असीमित शक्तियां आ जाएंगी। इसलिए शासन तक नूराकुश्ती शुरू हो चुकी है।

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Anupam Singh
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  उत्तर प्रदेश के गांव-गांव तक जहां से कृषि योजनाएं संचालित होती हैं। उस कृषि निदेशालय के निदेशक जितेंद्र कुमार तोमर आगामी 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। प्रदेश की कृषि नीति को लागू करने वाला यह सर्वोच्च प्रशासनिक पद अब खाली होने जा रहा है और उसके लिए अफसरों की दौड़ या कहें कि नूराकुश्ती शुरू हो चुकी है। कई वरिष्ठ अधिकारी, जो वर्षों से इस पद की उम्मीद लगाए बैठे थे, अब एक बार फिर वह अपनी किस्मत आजमाने में लगे हैं।

कौन-कौन हैं मैदान में?

इस दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं पंकज त्रिपाठी, जो विभाग के सबसे वरिष्ठ अफसर हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें चार साल पहले ही कृषि निदेशालय का निदेशक बन जाना चाहिए था, मगर किसी कारणवश वे उस समय चयन से बाहर रह गए। आज भी वे सबसे अनुभवी और वरिष्ठ हैं, पर क्या वरिष्ठता इस बार भी कुर्सी तक पहुंचा पाएगी?

अन्य दावेदारों में पियूष शर्मा (राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान, रहमानखेड़ा), टीपी चौधरी (बीज प्रमाणीकरण संस्था), और हरेंद्र उपाध्याय व अरविंद सिंह (दोनों निदेशक स्तर पर कार्यरत) शामिल हैं। सभी के पास अलग-अलग अनुभव हैं, लेकिन सवाल यही है कि इस बार चयन का पैमाना क्या होगा, वरिष्ठता, कार्यकुशलता या राजनीतिक समीकरण?

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क्या तय करेगा अगला निदेशक?

प्रशासनिक परंपरा कहती है कि वरिष्ठता को तरजीह दी जानी चाहिए। मगर हम सब जानते हैं कि परंपरा और व्यावहारिक राजनीति में अक्सर फासला होता है। इससे पहले भी कई बार ऐसे पदों पर चयन सिफारिश, दबाव और समीकरणों के आधार पर होता रहा है।

विभाग की साख दांव पर

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यह केवल एक व्यक्ति की नियुक्ति का सवाल नहीं है, यह सिस्टम की साख और विभाग के मनोबल का प्रश्न भी है। अगर सबसे वरिष्ठ अफसर एक बार फिर उपेक्षित किए जाते हैं, तो यह संदेश जाएगा कि अनुभव और ईमानदारी का कोई मोल नहीं, केवल समीकरण मायने रखते हैं।  दूसरी ओर, यदि चयन योग्यता, निष्पक्षता और वरिष्ठता के आधार पर होता है, तो यह विभाग के अन्य अफसरों में भी सकारात्मक संदेश देगा कि मेहनत और समर्पण रंग लाते हैं।भले देर से ही सही।

निदेशक का चयन, प्रणाली की भी करेगा परख

इस समय जब राज्य कृषि को नई दिशा, नवाचार और पारदर्शिता की आवश्यकता है, निदेशक पद की नियुक्ति एक संकेतात्मक अवसर है। क्या यह अवसर सही संकेत देगा या फिर एक और “नूराकुश्ती” की जीत में तब्दील हो जाएगा? आने वाले कुछ सप्ताहों में तस्वीर साफ हो जाएगी। मगर इतना तय है कि यह चयन केवल एक पद नहीं, बल्कि प्रणाली की परख भी होगा।

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