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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर वाईबीएन संवाददाता । 10 रबीउल अव्वल 1446 हिजरी बुधवार को सुबह 9 बजे मदरसा जामे उल उलूम फ़ुरकानिया में पुरानी परंपरा के अनुसार सीरत-ए-नबी ﷺ के विशेष जलसे का आयोजन किया गया. जिसकी सरपरस्ती मदरसे के संरक्षक और नाज़िम-ए-आला डॉक्टर मुहम्मद शाइर अल्लाह ख़ान क़ादरी वजीही ने फ़रमाई. सदारत के फ़राइज़ इमाम शहर मौलवी मुहम्मद नासिर ख़ान क़ादरी वजीही ने फ़रमाई. निज़ामत के फ़राइज़ इमाम जामा मस्जिद मौलवी एतेसाम उल्लाह ख़ान क़ादरी वजीही ने ख़ूबसूरती से अंजाम दिए.
जलसे का आग़ाज़ मदरसे के तालिबे इल्म क़ारी मुहम्मद शाज़मान फ़ुरक़ानी और क़ारी अली फ़ुरक़ानी की ख़ुश इलहान तिलावते कलाम-ए-इलाही से हुआ. इसके बाद मौलवी मुहम्मद इंतेज़ार हसन फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद इख़लास फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद जाबिर फ़ुरक़ानी, मौलवी मशारिक़ुल अनवार फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद अनस फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद अरमान फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद फ़र्ज़ अली फ़ुरक़ानी, मुहम्मद उमर फ़ुरक़ानी, मौलवी ताज मुहम्मद फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद मामून फ़ुरक़ानी, मौलवी सालेह उद्दीन फ़ुरक़ानी और मुहम्मद मुशाहिद फ़ुरक़ानी की नाते पाक ने हाज़िरीन के दिलों को जिला बख़्शी, ख़ास तौर पर मुशाहिद फ़ुरक़ानी की नाते पाक के इस शेर
"कर गये हैं जो गुलामी तेरी – वो शहनशाह बने बैठे हैं"
पर पूरी महफ़िल 'अश-अश' पुकार उठी.इसके बाद मौलवी मुहम्मद अयान फ़ुरक़ानी, मौलवी ज़ैनुर रहमान फ़ुरक़ानी, मौलवी तअज़ीमुल इस्लाम आसामी फ़ुरक़ानी, मौलवी अबुल अबीद फ़ुरक़ानी, मौलवी औवेस फ़ुरक़ानी, मौलवी अमीर हमज़ा फ़ुरक़ानी, मौलवी ज़ुहैब रज़ा फ़ुरक़ानी, मौलवी सालेह उद्दीन फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद अरहम फ़ुरक़ानी, मौलवी शम्स उद्दीन फ़ुरक़ानी, मौलवी इरफ़ान अली फ़ुरक़ानी, मौलवी मुहम्मद शामिल ख़ान फ़ुरक़ानी, मुहम्मद अमान फ़ुरक़ानी, मुहम्मद हबीब और मुहम्मद मसूद फ़ुरक़ानी ने अपनी तक़रीरों के ज़रिए हूजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ पहलुओं पर रोशनी डाली. ख़ास तौर पर मौलवी सालेह उद्दीन ने ज़ात-ए-नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुख़्तलिफ़ पहलुओं को बयान करते हुए कहा कि हुज़ूर की ज़ात वो हस्ती है जहां गुनहगार आते थे और पाको साफ़ होकर जाते थे, आप के ख़ून के प्यासे आप के जानिसार बन जाते थे, अपने आमाल से गुमराह हो चुके लोग आप की बारगाह में आकर जन्नत की बशारत लेकर जाते थे |
तलबा के प्रोग्राम के आख़िर में प्रिंसिपल मदरसा मौलवी मुहम्मद रेहान ख़ान साहब क़ादरी वजीही ने तलबा की हौसला अफ़ज़ाई फ़रमाते हुए कहा कि हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में नज़राना-ए-अक़ीदत पेश करने वाले यक़ीनन बड़े ख़ुशनसीब होते हैं मगर एक बात का ख़्याल बहुत अच्छी तरह से रखना चाहिए कि कोई बात भी बग़ैर तहक़ीक़ और बग़ैर सनद केबयान नहीं होना चाहिए क्योंकि हदीस-ए-मुबारक में बहुत साफ़ह तौर पर ये अल्फ़ाज़ हैं कि जिसने किसी झूठी बात की निस्बत मेरी तरफ़ की उसका ठिकाना दोज़ख़ होगा |
आख़िर में मौलवी अब्दुल वहाब ख़ान फ़ैज़ान क़ादरी वजीही के साथ तमाम सामईन ने बारगाह-ए-रिसालत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में सलात व सलाम पेश किया और मौलवी मुहम्मद नासिर ख़ान साहब क़ादरी वजीही की दुआ-ए-ख़ैर पर यह पुरकैफ़ महफ़िल खत्म हई |
जलसे में मदरसे के मुंतज़िम-ए-आला डॉक्टर मुहम्मद शाइर अल्लाह ख़ा क़ादरी वजीही व जुमला असातिज़ा-ए-किराम और तलबा के अलावा शहर और बैरून-ए-शहर के कसीर लोगों ने शिरकत फ़रमाई जिनमें नुमायां तौर पर मसूद अली, जनाब मुकर्रम रज़ा ख़ान इनायती, जनाब अब्दुल नूर फ़ुरक़ानी आसामी, कारी यासीन अहमद साहब, मौलवी मारिफ़ फ़ुरक़ानी वजीही मौलवी उस्मान फुरकानी,डा० महफूज़ अहमद, मारीश उल्लाह खां मिदहत उल्लाह खां मोलवी मौहम्मद उसमान फुर्क़निया व अब्दुल गफ्फार खां नवेद, ताहिरवारसी, मुरसलीन एडवोकेट, शारिक उल्लाह खां एडवोकेट अदि शामिल थे |
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