/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/27/78-2025-08-27-14-55-32.jpeg)
यंग भारत न्यूज के स्थानीय संपादक अखिलेश शर्मा के साथ मुफ्ती महबूब अली। साथ में हैं शाहिद जमाली। (फाइल फोटो) Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन संवाददाता। रामपुर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के 65 वर्ष तक इमाम रहे हजरत मौलाना मुफ्ती महबूब अली का अमेरिका में इंतकाल हो गया। वे 95 वर्ष की थे और चार अगस्त को जामा मस्जिद का इमाम मौलाना नासिर खां को बनाकर अमेरिका अपने बेटे के पास चले गए थे। बीमार होने के कारण उनका उपचार चल रहा था। रामपुर में उनके इंतकाल की सूचना आते ही शोक की लहर दौड़ गई। मदरसा फुरकानिया में कुरान ख्वानी के बाद शोक व्यक्त किया गया। मुफ्ती महबूब अली की पार्थिव देह शुक्रवार को अमेरिका से रामपुर पहुंचेगी। इसके बाद मदरसा स्थित खानकाह में सुपुर्देखाक किया जाएगा।
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/27/345-2025-08-27-15-27-52.jpeg)
मदरसा फुरकानियां की कमेटी के प्रबंधक शायरउल्लाह खां ने बताया कि आज सुबह अमेरिका के डेलास शहर से डा. जफर अंजुम वजीही का फोन आया कि शहर मुफ्ती हजरत मौलाना महबूब अली साहब कादरी वजीही का इंतेकाल हो गया है। इना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।
मुफ्ती महबूब साहब का जन्म 1930 में रामपुर शहर के मोहल्ला अंगूरी बाग में हाफ़िज़ अमजद अली साहब के घर हुआ था। उन्होंने मदरसा अनवारुल उलूम में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और कुराने करीम हिफ़्ज़ किया। 1948 से 1954 तक खतीब-ए-आजम मौलाना शाह वजीहुद्दीन अहमद खान कादरी मुजद्दी के मार्गदर्शन में अरबी की शिक्षा पूरी की।
1954 में ही मदरसा जामे उल उलूम फ़ुरकानिया में शिक्षक बने और तरक्की करते हुए प्रिंसिपल के पद तक पहुंचे। 1998 में मदरसा बोर्ड की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षण सेवाएं देते रहे।
1954 में ही मदरसा जामे उल उलूम फ़ुरकानिया में शिक्षक बने और तरक्की करते हुए प्रिंसिपल के पद तक पहुंचे। 1998 में मदरसा बोर्ड की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी शिक्षण सेवाएं देते रहे।
1959 में खतीब-ए-आजम ने उन्हें जामा मस्जिद का इमाम नियुक्त किया और 1960 में मुफ्तीए शहर और मुफ्ती फ़ुरकानिया कें पदों पर नियुक्त किया। पैंसठ साल तक लगातार शिक्षण और फतवा जारी करने की सेवाएं देते रहे। इल्म-ए-हदीस की मशहूर किताब मिश्कात शरीफ की उर्दू व्याख्या आठ खंडों में लिखी जो मदरसा फ़ुरकानिया से छपी है।
मुफती साहब मरहूम के शिष्यों की संख्या सैकड़ों तक पहुंचती है जो भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं |
मरहूम मुफ्ती साहब ने रामपुर के मसलके एतेदाल को हमेशा तरजीह दी और मज़हबी शिद्दत पसंदो को हमेशा राहे एतेदाल (दरमियाना रास्ता) पर चलने की तलकीन फरमाई।
रामपुर के मदरसा जामें उल उलूम फुरकानिया और खानकाहे अहमदिया कादरिया की इंतेज़ामी कमेटियों के वो ता हयात सदर और मुतवल्ली रहे। जामा मस्जिद की खिताबत के फराईज़ भी माज़ी करीब तक अंजाम देते रहे। गुज़िश्ता 5 अगस्त को मरहूम ने रामपुर से अमेरिका का सफर इख्तियार किया, वहां पर वो अपने पोते हाफिज़ व कारी सबीह अंजुम की शादी की तकरीब में शरीक हुए लेकिन चंद रोज़ के बाद ही उन्हें दिमागी सदमा (Brain Stroke) हुआ फौरी ऑपरेशन किया गया लेकिन होश नहीं आ सका और उनका चन्द रोज़ के बाद इन्तेकाल होगया।
जुमा की सुबह तक उनकी मैयत रामपुर पहुंचने का इम्कान है उसके बाद ही नमाज़ जनाज़ा और तदफीन का इंतेज़ाम होगा।
परिजनों में, पत्नी के अलावा तीन बेटे हैं: (1) मसूद अली साहब (2) डॉक्टर जफर अली अंजुम उर्फ सऊद साहब (3) मुंशी फैज अली इरफान साहब, इनके अलावा, तीन बेटियां भी यादगार हैं। बुधवार को शहर भर में कुरान ख्वानी का सिलसिला जारी रहा. दोपहर बारह बजे मदरसा फुरकानिया में सैकड़ों छात्रों और शिक्षकों ने कुरान ख्वानी फरमाई 'कुल शरीफ' होवा और शहर इमाम मौलवी मोहम्मद नासिर खान साहब ने मरहूम की मग़फिरत दुआ फरमाई।
चार अगस्त को जिम्मेदारी सौंप कर गए थे अमेरिका
रामपुर में हिंदू मुस्लिम एकता के लिए वे सदैव आगे रहते थे। एकता के लिए वह सभी के साथ प्रशासन के साथ हमेशा एकजुट होकर सहयोग देने में आगे रहते थे। 4 अगस्त 2025 को उन्होंने तबीयत ठीक न होने की वजह से अपनी जिम्मेदारियों को सौंप दिया था। उन्होंने शहर इमाम की जिम्मेदारी मौलाना मुहम्मद नासिर खां को , नायब शहर इमाम मौलाना अब्दुल वहाब खां फजान को, मुफ्ती शहर की जिम्मेदारी मुहम्मद मकसूद को नायब मुफ्ती शहर मौलाना मआरिफ उल्लाह खां को सौंप दी थी। इसके बाद अपने बेटे जफर अली अंजुम के पास अमेरिका चले गए थे।
शहर इमाम नासिर खां ने बताया कि मुफ्ती महबूब अली साहब के तीन बेटे हैं दो बेटे रामपुर में ही रहते हैं। सबसे छोटे फैज अली इरफान मदरसा फुरकानियां में शिक्षक हैं। सबसे बड़े मशहूद अली शादाब मार्केट में अपना व्यापार करते हैं। उन्होंने बताया कि मुफ्ती महबूब अली साहब ने जब से होश संभाला वह नेकी और दूसरों को फैज देने का काम करते रहे। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी के बीच एकता बनाए रखने की कोशिश करना ही उनका मकसद था। शहर की हर परिस्थिति में वे मदद के लिए खड़े रहे। उन्होंने जौहर अस्पताल की भी जिम्मेदारी संभाली। पोलियो मुक्ति को अभियान रहा हो या फिर कोरोना काल में मदद करने और टीका लगवाने की अपील करने में उन्होंने समाज को शिक्षित करने का संदेश दिया। 1960 से 2025 तक वे शहर इमाम और शहर के मुफ्ती पद पर रहे।
अमेरिका से रामपुर लाया जा रहा शव
मदरसा फुरकानिया के प्रबंधक शायरउल्लाह खां ने बताया कि उनके बेटे जफर अली अंजुम ने बताया कि उनका शव अमेरिका से रामपुर लाया जा रहा है। सभी कागजी खानापूर्ति की जा रही हैं। शुक्रवार को सुबह शव रामपुर आने पर किले के मैदान में नमाजे जनाजा होगी। इसके बाद मदरसा स्थित खानकाह में मुफ्ती महबूब अली को सुपुर्दे खाक किया जाएगा। मदरसा फुरकानिया में आज सूचना मिलते ही शोक घोषित कर दिया गया। शिक्षक और बच्चों ने कुरान ख्वानी की। इसके बाद दुआ की गई।
यह भी पढ़ेंः-
Rampur News: मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह को एक वर्ष का सेवा विस्तार मिलने पर जताई खुशी
Rampur News: जिले भर में मनाया हरितालिका तीज, सुहागिन महिलाओं ने रखा व्रत, दिया अर्घ्य
Rampur News: उत्तर प्रदेश स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रामपुर का शानदार प्रदर्शन