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Photograph: (वाईबीएन NETWRK)
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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता। श्रावण मास की पुण्य बेला में खिरनीबाग रामलीला मैदान में श्री शिवमहापुराण कथा का आज प्रथम दिवस श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। परंपरागत रूप से कथा की शुरुआत व्यासपीठ पूजन से हुई, जिसे आयोजन समिति के संयोजक हरिशरण बाजपेई एवं उनकी धर्मपत्नी सीमा बाजपेई ने विधिवत सम्पन्न कराया। पूजन कार्य काशी से पधारे आचार्य विवेकानंद शास्त्री एवं आचार्य कार्तिकेय द्विवेदी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ।
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इंद्र और दैत्यसुर की कथा से हुआ कथा का श्रीगणेश
प्रथम दिवस की कथा में काशी के संत प्रशांत प्रभु जी महाराज ने पौराणिक प्रसंगों को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के मध्य घमासान युद्ध छिड़ा था। इंद्रदेव ने असुरों की विशाल सेना को पराजित कर दिया किंतु दैत्यसुर ने माया का रूप धारण कर छलपूर्वक देवसेना को हरा दिया। हार से व्यथित इंद्र, देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु ने ध्यान करके बताया कि दैत्यसुर शिव का परम भक्त है और उसे शिव से दिव्य शक्तियाँ प्राप्त हैं। गुरु बृहस्पति ने इंद्र को प्रदोष काल में एक वर्ष तक शिव आराधना करने का परामर्श दिया। इंद्र ने तपस्या की, शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दिव्यास्त्र प्रदान किए। अंततः इंद्र ने पुनः युद्ध कर दैत्यसुर सहित समस्त असुरों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई। कथा के दौरान शिव भजनों की संगीतमय प्रस्तुति हुई, जिस पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमते रहे। शिवभक्ति का माहौल इतना भावविभोर था कि अनेक श्रद्धालु कथा पंडाल में ही भक्ति नृत्य में रम गए।
पूजन-अर्चन में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता
आज की कथा में दीपक शर्मा, मुनेश्वर सिंह (ब्लॉक प्रमुख सिधौली), श्री दत्त शुक्ला (ब्लॉक प्रमुख कांट), संजय मिश्रा, पूर्व एमएलसी रामकृष्ण शुक्ला, अखिलेश सिंह, गौरव त्रिपाठी और नीरज बाजपेई ने व्यासपीठ पर आरती-पूजन कर आयोजन में सहभागिता निभाई।
रोजाना संध्या को आयोजित होगी कथा
यह कथा 7 दिनों तक प्रतिदिन संध्या 5 बजे से खिरनीबाग रामलीला मैदान में आयोजित की जाएगी। आयोजकों ने नगरवासियों से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर भगवान शिव की दिव्य कथाओं का श्रवण कर पुण्य अर्जित करें।
प्रथम दिवस की कथा में काशी के संत प्रशांत प्रभु जी महाराज ने पौराणिक प्रसंगों को भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के मध्य घमासान युद्ध छिड़ा था। इंद्रदेव ने असुरों की विशाल सेना को पराजित कर दिया किंतु दैत्यसुर ने माया का रूप धारण कर छलपूर्वक देवसेना को हरा दिया। हार से व्यथित इंद्र, देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु ने ध्यान करके बताया कि दैत्यसुर शिव का परम भक्त है और उसे शिव से दिव्य शक्तियाँ प्राप्त हैं। गुरु बृहस्पति ने इंद्र को प्रदोष काल में एक वर्ष तक शिव आराधना करने का परामर्श दिया। इंद्र ने तपस्या की, शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दिव्यास्त्र प्रदान किए। अंततः इंद्र ने पुनः युद्ध कर दैत्यसुर सहित समस्त असुरों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई। कथा के दौरान शिव भजनों की संगीतमय प्रस्तुति हुई, जिस पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमते रहे। शिवभक्ति का माहौल इतना भावविभोर था कि अनेक श्रद्धालु कथा पंडाल में ही भक्ति नृत्य में रम गए।
पूजन-अर्चन में जनप्रतिनिधियों की सहभागिता
आज की कथा में दीपक शर्मा, मुनेश्वर सिंह (ब्लॉक प्रमुख सिधौली), श्री दत्त शुक्ला (ब्लॉक प्रमुख कांट), संजय मिश्रा, पूर्व एमएलसी रामकृष्ण शुक्ला, अखिलेश सिंह, गौरव त्रिपाठी और नीरज बाजपेई ने व्यासपीठ पर आरती-पूजन कर आयोजन में सहभागिता निभाई।
रोजाना संध्या को आयोजित होगी कथा
यह कथा 7 दिनों तक प्रतिदिन संध्या 5 बजे से खिरनीबाग रामलीला मैदान में आयोजित की जाएगी। आयोजकों ने नगरवासियों से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर भगवान शिव की दिव्य कथाओं का श्रवण कर पुण्य अर्जित करें।
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