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जिसे उंगली पकड़ चलना सिखाया.....उसी के सीने में उतार दी गोली, जानिए जन्मदाता कैसे बना कातिल?

जिसे उंगली पकड़ चलना सिखाया उसी बेटे की छाती में उतार दी गोली। शाहजहांपुर में एक पिता ने मानसिक रूप से अस्थिर बेटे की जिद और हिंसा से टूटकर खुद की ही गोद उजाड़ दी। अब जन्मदाता कातिल बना, और परिवार में मातम व गहरा सन्नाटा छा गया।

Narendra Yadav & Ambrish Nayak
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शाहजहांपुर

तिलहर में पिता ने की बेटे की हत्या (वाईबीएन नेटवर्क)

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 शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता ।बेटा जब पहली बार पापा बोला था तो ओमकार की आंखें नम हो गई थीं। नन्हीं उंगली पकड़कर चलना सिखाया था उसके गिरने पर खुद गिर पड़ते थे। हर जिद पूरी की हर गलती पर सीने से लगाया। लेकिन वही बेटा जब वर्षों बाद घर की दीवारों को गाली-गलौज और चीख-पुकार से कंपाने लगा तो उस पिता का दिल टूटा। कई रातें आंखों में कटीं... बेटे को सुधारने की कोशिशें थक हार गईं। और फिर एक दिन वही उंगली बंदूक की नली की ओर उठ गई। वह दिन वह शाम पिता के जीवन की सबसे काली शाम बन गई जब अपने ही हाथों से अपने ही जिगर के टुकड़े को मौत सुला दिया। यह कहानी है प्यार,तकलीफ, गुस्से और पछतावे की...। एक ऐसा हादसा जो हर मां-बाप के दिल में सवाल छोड़ जाएगा क्या प्यार की भी कोई सीमा होती है?

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शाहजहांपुर
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

सोमवार की शाम शाहजहांपुर के तिलहर थाना क्षेत्र में घटा यह हृदयविदारक घटनाक्रम पूरे शहर को झकझोर गया। घरेलू कलह का अंत उस वक्त बेहद दुखद हो गया जब एक पिता ने अपने ही पुत्र की जान ले ली। मोहल्ला निजामगंज में किराए पर रह रहे 35 वर्षीय हर्षवर्धन उर्फ चिंटू को उसके ही पिता ओमकार गंगवार ने लाइसेंसी बंदूक से गोली मार दी। घायल अवस्था में जब चिंटू लड़खड़ाते हुए घर के बाहर आया और चबूतरे पर गिर पड़ा, तो उसकी सांसें थम चुकी थीं।

अगर गोली न चलाते तो पिता को मार देता हर्षवर्धन

यह केवल हत्या नहीं एक लाचार पिता की आत्मरक्षा भी थी। हर्षवर्धन मानसिक रूप से परेशान था। आए दिन परिवार में झगड़े होते रहते थे। सोमवार को भी घर में बहस छिड़ी थी। प्रत्यक्षदर्शी और मृतक के साले रोहिताश के अनुसार, कहासुनी इस कदर बढ़ गई कि हर्षवर्धन ने पिता से बंदूक छीनने की कोशिश की। उसी छीना-झपटी में गोली चल गई, जो सीधे सीने के बीचों-बीच लगी। पुलिस को मौके से जो दो नाली लाइसेंसी बंदूक मिली उसकी एक नाल में कारतूस फंसा हुआ मिला। इससे स्पष्ट होता है कि एक ही फायर हुआ और वह जानलेवा साबित हुआ।


बेटे की हर जिद पूरी करने वाला पिता टूटा, बना हत्यारा

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शाहजहांपुर
Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

ओमकार गंगवार ने अपने बेटे हर्षवर्धन को बड़े प्यार से पाला था। नौकरीपेशा पिता ने कभी कोई कमी नहीं रखी। बचपन से हर जिद पूरी की, लेकिन वक्त ने करवट ली। हर्षवर्धन शराब का लती हो गया मानसिक संतुलन भी डगमगाने लगा। आए दिन घर में गाली-गलौज और मारपीट आम बात हो गई थी। पड़ोसियों के मुताबिक, पिता अक्सर बेटे से डरा रहता था, लेकिन फिर भी उम्मीद नहीं छोड़ी थी। हर्षवर्धन अविवाहित था और चार भाइयों में दूसरे नंबर पर था। कुछ साल पहले वह ग्राम रजाकपुर से तिलहर के निजामगंज मोहल्ले में किराए पर रहने लगा था। मां-बाप, तीन भाई, दो भाभियां और एक विवाहित बहन उसके परिवार में हैं।

गांव से शहर आया था बेटा, मगर मां-बाप का चैन ले गया

हर्षवर्धन को परिवार वालों ने शहर इसलिए लाकर रखा था कि शायद माहौल बदलने से वह सुधर जाए, लेकिन यहां भी हालात नहीं बदले। पुलिस जांच में सामने आया है कि वह अक्सर माता-पिता से मारपीट करता था। पड़ोसी भी उस दिन की झड़प के गवाह बने। गोली की आवाज आई तो सभी दौड़कर पहुंचे। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।


एक गोली, जिसने रिश्तों की पूरी नींव हिला दी
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पुलिस क्षेत्राधिकारी ज्योति यादव के मुताबिक अब तक की जांच में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि मृतक को गोली उसके पिता ओमकार ने मारी। हालांकि यह भी जांचा जा रहा है कि गोली खुद चली या छीना-झपटी में चली। कोतवाली प्रभारी राकेश कुमार ने बताया कि पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और जांच सभी बिंदुओं पर की जा रही है।


जब बेटे ने देखा था पिता को रोते हुए...

एक पड़ोसी ने बताया कि कुछ महीने पहले हर्षवर्धन ने अपने पिता को चुपके से रोते हुए देखा था। तब वह कुछ देर के लिए शांत हो गया था। शायद कहीं न कहीं उसके दिल में भी पिता के लिए स्नेह, सम्मान व अपनत्व बाकी था, लेकिन गुस्से और मानसिक तनाव ने उस प्यार को ढक लिया।

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