भोपाल, वीईबीएन नेटवर्क :
Toxic Waste मध्य प्रदेश के इंदौर के पीथमपुरामें भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को जलाने के विरोध में चल रहे प्रदर्शनों के बीच राज्य की मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई है और देररात को सीएम हाउस में हाईलेवल मीटिंग में कचरे के निपटान की प्रक्रिया रोक लगाने का निर्णय लिया गया। एक युवक के आत्मदाह की कोशिश की घटना के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है।
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बवाल के बाद सीएम हाउस में हाईलेवल मीटिंग
मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव के सरकारी आवास पर देररात को हाईलेवल मीटिंग हुई। मीटिंग में यूनियन कार्बाइड के कचरे के परिवहन और पीथमपुर के निकट निपटारा किए जाने के संबंध में शीर्ष जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, 'पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटारे के संबंध में अति आवश्यक बैठक में उपस्थित सभी सदस्य एकमत हैं कि हमारा निर्णय माननीय न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है और जनता का कोई भी अहित न हो इसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
क्या बोले मोहन यादव मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीटिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि राज्य सरकार जनता के साथ दृढ़ता से खड़ी है। लोगों का किसी भी प्रकार अहित हो, यह हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। माननीय न्यायालय के सामने विषय लाएंगे और कोर्ट के आदेश के परिपालन में ही किसी कारवाई पर आगे बढ़ेंगे।
https://x.com/DrMohanYadav51/status/1875259719797146077
युवक ने की थी आत्मदाह की कोशिश
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के विषाक्त कचरे को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शन के दौरान एक युवक ने आत्मदाह की कोशिश भी की थी। स्थानीय लोगों ने पीथमपुर बंद का आह्वान भी किया था। जबकि सरकार का दावा है कि 25 साल पुराना कचरा हानिकारक नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग इससे होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। इसलिए लगातार विरोध प्रदर्शन का सिलसिला चल रहा है।
https://youngbharatnews.com/state/uttar-pradesh/farmers-protest-against-caretaker-of-gaushala-in-badayun-demands-action-8588968
जानिये क्या था भोपाल का गैस कांड
ठीक चालीस साल पहले भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को भीषण औद्योगिक दुर्घटना हुई थी। इसे भोपाल गैस कांड अथवा भोपाल गैस त्रासदी कहा जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ, जिससे करीब 8000 से अधिक लोगों की जान गई थी। गैस के प्रभाव में आकर बहुत बड़ी संख्या में लोग शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। भोपाल गैस कांड में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मृतकों की संख्या को लेकर अलग-अलग राय हैं। फिर भी अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। जबकि अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी। वर्ष 2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38,478 थी। 3900 तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गए।
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